About Nath Cult Explanation of  Ai Panth by Guru Nanak Dev आई पंथ : ‘आई’ शक्ति परमेश्वर शक्ति की बोधिका : नाथ संप्रदाय 





गुरु गोरखनाथजी द्वारा प्रवर्तित योगिसंप्रदाय’ मुख्य रूप से बारह शाखाओं में विभक्त है।
 इसीलिए इसे बारहपंथी’ कहते हैं। 

(1) भुज के कंठरनाथ, (2) पागलनाथ, (3) रावल, (4) पंख या पंक, (5) वन, (6) गोपाल या राम, (7) चांदनाथ कपिलानी, (8) हेठनाथ, (9) आई पंथ, (10) वेराग पंथ, (11) जैपुर के पावनाथ और (12) घजनाथ। 





इस प्रकार गुरु शिष्य परम्परा से अनेक पंथ बन गए है , कुछ पंथ गुप्त हुए और कुछ प्रकट है ! नाथ पंथ में कुछ योगी गृहस्थ होते है और कुछ ब्रह्मचारी रहते है ! अतः नाथ पंथ का पूरा विवरण माँ सरस्वती के लेखन से भी परे की बात है ! 

१२ पंथो में आई पंथ को श्रेष्ठ माना गया है और सिक्खों के धार्मिक ग्रन्थ “ गुरु ग्रन्थ साहिब “ जी के जपुजी साहिब में भी आई पंथ की प्रशंसा की गयी है और १२ पंथो में श्रेष्ठ माना गया है ! 

“ जपुजी साहिब ” में लिखा है – “ मुंदा संतोख सरम पट झोली ध्यान की करे भिभूत, किन्था काल कुआरी काया जुगत धंधा परतीत, आई पंथी सगल जमाती मन जीते जगजीत, आदेश तीसे आदेश, आद अनिल अनाद अनाहद जुग जुग इको भेस ”

नाथ का अर्थ होता है 'न अथ' अर्थात 'जिस से ऊपर कुछ न हो' पर लोग नाथ का अर्थ स्वामी के रूप में मान लेते है!


आई पंथ

यह नाम उस सर्वाध्यक्ष परमेश्वुर की शक्ति का है जो सब वस्तु पदार्थों को 

अदृश्य् हुई सुनियमन कर रही है जिस बिना कोई भी कुछ करने को 

समर्थ नही है। यथा-

शक्तिरस्त्त्यैश्वकरी काचित्सर्ववस्तुनियामिका।

आनन्दमयमारम्य गुढा सर्वेषु वस्तुषु।।

जिसके बिना कोई भी क्रिया सम्भव नही हो सकतीवही आई’ शक्ति 

परमेश्वर शक्ति की बोधिका है जो सदाशिव से अभिन्न है चन्द्रचन्द्रिकयोरेव

 एवं उसकी उपासना हृदयोत्कट भावना से होना आवश्यिक है उसकी 

दत्तशक्ति से सब साध्य सिद्ध हाते है।


'अमरोध शासन' में गोरखनाथ ने वेदांतियां, मीमांसकों, कौलों, वज्रयानियों

और शक्ति तांत्रिकों के मोक्ष संबंधी विचारों को 'मूर्खता' कहा है। असली 

'मोक्ष' वे सहज समाधि को मानते हैं। 


सहजसमाधि उस अवस्था को बताया जाता है जिसमें मन स्वयं ही मन को देखने लगता है। दूसरे शब्दों में स्वसंवेद ज्ञान की अवस्था ही सहजसमाधि है। यही चरम है।

Aipanth was placed in special position by great Yogis at least twice: once by Goraksh Nath in his book SSP, and another time by founder of Sikh Religion Guru Nanak Dev. SSp list Ai sanatan not as ordinary panth of the sect, but as one of five sanatanas (the five stages of the spiritual development) compulsory for each yogi of the Natha sect.
Guru Nanak Dev very highly appreciated Aipanth in one of his Songs. He called it distinguished from all others, and the only panth.

Ai-panthi sagal jamati mani jitai jagu jitu .


He says that Ai-panthi is the complete Jamat, i.e. that it is most important panth in which included all others twelve panthas.



Shaktipat initiation awakening the Kundalini power by Nath Yogis(Guru Gangainath Ji and Guru Siyag)






नाथ इतिहास: Nath Cult History with diagram: Online Initiation by Nath Yogis(Guru Gangainath-Guru Siyag)


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